Tag : Death Anniversary

Blog on Faiz Ahmad Faiz

जब फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ को इंग्लिश के पर्चे में 150 में से 165 नंबर मिले

थर्ड ईयर के इम्तिहान के बाद जब तालिब-ए-इल्म अपनी अपनी कापियाँ देख रहे थे तो फ़ैज़ की कॉपी पर 165 नंबर दर्ज थे। कोई हैरान हुए बग़ैर नहीं रह सका क्योंकि इम्तिहान सिर्फ़ 150 नंबरों का था।

Mir Taqi Mir

जाने का नहीं शोर सुख़न का मेरे हरगिज़ : मीर तक़ी मीर

मीर तक़ी मीर, जिन्हें ख़ुदा-ए-सुख़न भी कहा जाता है, उर्दू के सबसे बड़े शा’इर हैं। मीर को ये दर्जा केवल उनकी शा’इरी की वजह से नहीं, ज़बान की इर्तिक़ा में उनके योगदान की वजह से भी हासिल है। शा’इरी का हर रंग उनके यहाँ नुमायाँ मिलता है, और इस लिहाज से वो उर्दू के वाहिद मुकम्मल शा’इर कहे जा सकते हैं।

Bahadur Shah Zafar Blog

Bahadur Shah Zafar: The emperor poet of Delhi

Bahadur Shah Zafar was born on October 14, 1775, in the last quarter of the eighteenth century. The empire was on the decline. Bahadur Shah Zafar ascended the throne of Delhi, as a symbolic king. His territory of the reign was limited to the Red Fort itself.

Jigar Moradabadi

मेरा पैग़ाम मुहब्बत है…

जिगर साहिब रिवायती ग़ज़ल के आख़िरी बड़े शायर हैं। लेकिन उनकी शायरी के आख़िरी दौर में कहीं-कहीं आधुनिकता के हल्के-हल्के रंग भी नज़र आने लगे थे। अगर जिगर साहिब को दस बरस की ज़िन्दगी और शायरी अता हो जाती तो मुमकिन है कि जिगर साहब जदीद शायरी की बुनियाद रखने वाले शायरों में भी गिने जाते।

Firaq Gorakhpuri

जब जोश से अनबन हुई और फ़िराक़ गोरखपुरी ने पूरी किताब लिख दी

रूप की रुबाइयाँ एक और ज़ाविए से अहम हैं क्योंकि वो फ़िराक़ साहब की ज़िंदगी के अहम वाक़िए से जुड़ी हुई हैं। फ़िराक़ साहब और जोश साहब में गहरी दोस्ती थी लेकिन एक बार उनमें कुछ ऐसी अनबन हुई कि एक अर्से तक बात नहीं हुई। जब फ़िराक़ साहब दिल्ली से वापस इलाहबाद आए तो उन्होंने एक रुबाई कही थी।

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