Tag : Death Anniversary

जो कृष्ण भक्त थे और मौलवी भी थे, और कामरेड भी

हसरत शायर तो थे ही ,संविधान सभा के सदस्य भी थे, जो यूनाइटेड प्रोविंस से चुने गए थे ,इस्लामी विद्वान,फ़लसफ़ी और कृष्ण-भक्त इनके बारे में कहा जाता है। हसरत जब भी हज की यात्रा करके लौटते थे तो सीधे मथुरा वृंदावन जाया करते थे। वो कहते थे जब तक मैं मथुरा न जाऊॅं मेरा हज किस काम का है उनके बारे में मशहूर है कि उन्होंने तेरह हज किए थे।

Kaifi Azmi Blog

कैफ़ी आज़मी: एक सच्चे तरक़्क़ी-पसंद की ज़िंदगी और शायरी का क़िस्सा

कैफ़ी का जन्म आजमगढ़ के एक छोटे से गाँव मजवाँ में 1918 को हुआ था। उनका ख़ानदान पुराने ख़्यालात का जागीरदार ख़ानदान था। जहाँ न शिक्षा थी और न नए ख़्यालात की वो आज़ादी जिसे लेकर कैफ़ी जन्मे थे।

Shiv Kumar Batalvi

शिव को बिरहा का सुल्तान क्यों कहते हैं?

किसी भी शाइर के हवाले से गुफ़्तगू करने का सबसे आसान तरीक़ा ये है कि आप उसकी उस ख़ुसूसियत के हवाले से उस शायर की शिनाख़्त करें जो उसकी शाइरी को दूसरों से अलग करती है। हालाँकि ये तरीक़ा-ए-कार उस रुसवा करने से कुछ कम तो नहीं, मगर ज़ियादा-तर शाइरों के मुताले के लिए ये तरीक़ा बेहद कारगर साबित होता है।

Shakeel Badayuni

जब शकील बदायुनी सरकारी नौकरी छोड़ कर मुंबई में क़िस्मत आज़माने लगे

शकील का मर्तबा ब-तौर गीतकार जिस दर्जा बुलंद है, ब-तौर एक शाइर भी उनका मर्तबा कुछ कम नहीं है। पहले उनके शाइराना पहलू के हवाले से बात करते हैं। शकील की पैदाइश 3 अगस्त 1916 को बदायूँ में हुई थी। उनके वालिद जमील अहमद क़ादरी बम्बई की एक मस्जिद में इमामत करते थे, लिहाज़ा उनका ज़ियादा-तर वक़्त बदायूँ से बाहर गुज़रता था।

Irfan Siddiqi

नई शायरी करनी हो तो इनके बारे में जानना ज़रूरी होगा

इरफ़ान सिद्दीक़ी के इस अकेले शेर में उनकी ज़िन्दगी की पूरी कहानी छुपी हुई है। उर्दू ज़बान के बेहतरीन शाइरों में से एक होने के बावजूद, वो मक़बूलियत और पज़ीराई उनके लिए बहुत देर से आई, जिसके वो हक़दार थे। इरफ़ान सिद्दीक़ी आधुनिक उर्दू ग़ज़ल के एक ट्रेंडसेटर के रूप में भी जाने जाते हैं, जिन्होंने अपनी समझ और तर्कशक्ति को शाइरी में ढालने की हिम्मत की, और उर्दू शाइरी के कैनवस पर एक ख़ूबसूरत पेंटिंग बनाई।

Twitter Feeds

Facebook Feeds