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Firaq Gorakhpuri

जब जोश से अनबन हुई और फ़िराक़ गोरखपुरी ने पूरी किताब लिख दी

रूप की रुबाइयाँ एक और ज़ाविए से अहम हैं क्योंकि वो फ़िराक़ साहब की ज़िंदगी के अहम वाक़िए से जुड़ी हुई हैं। फ़िराक़ साहब और जोश साहब में गहरी दोस्ती थी लेकिन एक बार उनमें कुछ ऐसी अनबन हुई कि एक अर्से तक बात नहीं हुई। जब फ़िराक़ साहब दिल्ली से वापस इलाहबाद आए तो उन्होंने एक रुबाई कही थी।

Nasir Kazmi Blog

नासिर काज़मी ज़िन्दगी भर अपनी धरती अंबाला को याद करते रहे

नासिर के यहाँ रात बेहद वसीअ है। रात के मुख़्तलिफ़ पहलू उनकी शायरी में मौजूद हैं। कहा जाता है कि वो सारी सारी रात जागते रहते, और जब पौ फटती, परिंदे चहचहाना शुरू करते तब जा कर उनकी आँखों में नींद का कोई निशान नज़र आता।

वो सुब्ह कभी तो आएगी

हमें पूरी उम्मीद रखनी है कि दुनिया फिर उतनी ही ख़ूबसूरत होगी जितनी इन दो बरसों पहले थी। हम उसी तरह बग़लगीर होंगे, उसी तरह हसेंगे-बोलेंगे, नाचेंगे-गाएंगे, खाऐंगे-पिऐंगे। उसी तरह शादियों में शहनाइयां और ढ़ोल-नगाड़े बजेंगे। उसी तरह महफ़िलें सजेंगी, शायरी सुनी जाएगी, मुशायरे बरपा होंगे। वैसे ही ट्रेनें खचाखच भरेंगी। भीड़ वाली जगहों पर भीड़ होगी। बाग़ों में झूले सुनसान नहीं पड़े होंगे, बच्चों के साथ गुनगुनाऐंगे, लहराएंगे।

Night Shayari, Shayari on night, A Metaphor to a Hundred Colours

Night- A Metaphor to a Hundred Colours

Ghalib, unconventionally romantic in his couplets, portrays night as the darkness in which the beloved shines. Perhaps it’s only the bewitching scattered tresses which deceive the lover into thinking that he alone enjoys sleep, peace and the night!

Firaq Gorakhpuri

फ़िराक़ गोरखपुरी होने का मतलब

फ़िराक़ गोरखपुरी पिछली सदी के सबसे जीनियस शायर हैं। फ़िराक़ से पहले जीनियस लफ़्ज़ के मुसतहिक़ ग़ालिब नज़र आते हैं। ग़ालिब और फ़िराक़ में एक बात और कॉमन है। वो है इन दोनों की नस्र। अगर आप इन दोनों की नस्र पढ़ें तो थोड़ी देर को ही सही, आपका ईमान इनकी शायरी से हिल जाएगा… continue reading

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