Tag : Mushtaq Ahmad Yusufi

रंगों के उर्दू नाम जो हम भूलते जा रहे हैं

अफ़सोस हमें एहसास नहीं कि हमारे हाँ रंगों के क़दीम और ख़ूबसूरत नाम बड़ी तेज़ी से मतरूक हो रहे हैं। कल उन्हें कौन पहचानेगा। हमने अपने लफ़्ज़ खज़ाने पर लात मारी सो मारी, अपनी धरती से फूटने वाली धनक पर भी ख़ाक डाल दी।

Gauhar Jaan And Akbar Allahabadi

#QissaKahani: जब हिन्दोस्तान की एक मशहूर गायिका और एक तवाइफ़ अकबर से मिलने पहुँचीं

QissaKahani रेख़्ता ब्लॉग की नई सीरीज़ है, जिसमें हम आपके लिए हर हफ़्ते उर्दू शायरों, अदीबों और उर्दू से वाबस्ता अहम् शख़्सियात के जीवन से जुड़े दिलचस्प क़िस्से लेकर हाज़िर होते हैं। इस सीरीज़ की चौथी पेशकश में पढ़िए अकबर इलाहाबादी और मशहूर गायिका गौहर जान की मुलाक़ात का क़िस्सा।

Ibn-e-Insha Blog

इब्न-ए-इंशा: जिन का काटा सोते में भी मुस्कुराता है

इब्न-ए-इंशा की कई ग़ज़लें ऐसी हैं जिन्हें किसी बड़े फ़नकार ने अपनी ख़ुश नवाई से दवाम बख़श दिया है। जगजीत सिंह की गाई हुई उनकी ग़ज़ल ‘कल चौदहवीं की रात थी शब-भर रहा चर्चा तिरा’ आज भी हर तबक़े में इंतिहाई मक़बूल है।

यूसुफ़ी: जो उर्दू फ़र्श पर बैठ कर लिखते थे और अंग्रेज़ी कुर्सी पर

भाषा के लिए यूसुफ़ी अपनी पत्नी को अपना गुरु समझते थे। इदरीस बेगम अलीगढ़ की तालीम-ए-याफ़ता थीं और ज़बान शनास थीं। यूसुफ़ी उनसे कहते ‘भाषा के मुआमले में हम तुम्हारी मानते हैं बाक़ी मुआमलों में तुम हमारी मानो।’

Mushtaq Ahmad Yusufi Humour

Yusufi: The Master of Humour & Satire

“Koi umr puchhta hai toh phone number dekar baton mein laga leta hu”

Twitter Feeds

Facebook Feeds