Tag : Urdu Poetry

किताबें तन्हा भी करती हैं और तन्हाई से बचाती भी हैं

किताबों से परे ज़िन्दगी का तसव्वुर करना भी तसव्वुर के सिवा और क्या है। बल्कि महसूस करके देखा जाए तो किताबों का एक-एक सफ़्हा न जाने कितनी ज़िन्दगियों से लिपटा हुआ होता है। तन्हाई में घुटता हुआ इंसान किताबों के साथ जीना सीख ले तो फिर वो इस दुनिया का नहीं रह जाता। किताब में तहरीर एक-एक लफ़्ज़ हमसे गुफ़्तगू करता है, एक-एक किरदार किताब से निकल कर हमारे सामने आ कर हमारे साथ जीने लगता है, ये न हुआ तो हम उनके साथ जीने लगते हैं।

शायरी के इन किरदारों के बारे में अगर आप नहीं जानते तो ज़रूर जानना चाहिए

शायरी में अलग अलग थीम्स और उनसे जुड़े किरदार होते हैं जैसे इश्क़ की थीम है तो उसमें आशिक़ होगा, महबूब होगा, रक़ीब होगा, और कभी कभी उपदेश देने वाले का इज़ाफ़ा हो जाता है। इसी तरह लहरें और समंदर का ज़िक्र है तो नाख़ुदा होगा, हर ख़ास थीम के साथ उसके उतने ही ख़ास इस्तियारे या किरदार हैं।

Kamal Amrohi Blog

ये चराग़ बुझ रहे हैं

पाकीज़ा फिल्म में जब मीना कुमारी राजकुमार से कहती है, “आप आ गए और आप की दिल की ध़डकनों ने मुझे कहने भी नहीं दिया कि मैं एक तवायफ हूं…” तो पूरा शॉट फ्रीज हो जाता है। इसके तुरंत बाद शायद हिंदी सिनेमा के सबसे रोमांटिग गीतों में एक एक “चलो दिलदार चलो, चांद के पार चलो” शुरू होता है। यह एक पूरी सीक्वेंस है: तवायफ होने की सच्चाई के आगे राजकुमार के रूमानी प्रेम का चटख जाना, शॉट फ्रीज होना और फिर रूमानियत का चरम, जो इस दुनिया के पार जाने की बात करता है।

Kamal Amrohi

आ भी जा मेरी दुनिया में

कमाल अमरोही की फिल्मों पर चर्चा करते वक्त दो ऐसी फिल्मों पर बात करना जरूरी है, जिनको उन्होंने निर्देशित नहीं किया है मगर उन पर कमाल अमरोही की छाप स्पष्ट देखने को मिलती है। ये दो फिल्में हैं ‘दिल अपना और प्रीत पराई’ (1960) और ‘शंकर हुसैन’ (1977)। गौर करें तो कमाल अमरोही की प्रोड्यूस और किशोर साहू द्वारा निर्देशित फिल्म ‘दिल अपना और प्रीत पराई’ में उदासी के अद्भुत शेड्स देखने को मिलते हैं।

Kamal Amrohi

आएगा आने वाला…

‘महल’ जैसी फिल्म भारतीय सिनेमा में आज भी असाधारण है। अपने कथानक, वातावरण और चरित्रों के प्रस्तुतीकरण में तो यह अनूठी है, मगर साथ ही इसका फिल्मांकन और कथानक में अंर्तनिहित तत्व इसे दुनिया की बेहतरीन फिल्मों की कतार में लाकर खड़ा कर देते हैं. यह अपने सिर्फ एक रहस्य भरे कथानक वाली फिल्म नहीं थी, इस फिल्म में एक बेरहम किस्म की उदासी थी। इसे पहली हॉरर और पुनर्जन्म की कहानी बयान करने वाली फिल्म माना जाता है।

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