गुलज़ार देहलवी : हमारी गंगा-जमुनी तहज़ीब के अलम -बरदार
पंडित आनंद मोहन ज़ुत्शी गुलज़ार देहलवी अपना जिस्मानी सफ़र तमाम करके हमारी अदबी और तहज़ीबी तारीख़ में एक ऐसी दास्तान के तौर पर दर्ज हो गए हैं, जिसे जब भी पढ़ा या सुना जाएगा तो आँखों से ओझल होती हुई हमारी मुशतर्का तहज़ीब का तमाम-तर हुस्न-ओ-जमाल मुजस्सम हो कर सामने आ जाएगा।