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Let’s count them words!

Different poets might use slightly different distribution of words and word clouds are typically used to convey information about the distribution of words in some specific context. The more a word is used, the bigger it is on the cloud. So, let us make these word clouds for some prominent poets and see if they convey some insight into their commonalities and distinctiveness. 

Mir Anees

मीर अनीस, वो फ़क़ीर शायर जो बादशाहों को भी ख़ातिर में नहीं लाता था

मीर अनीस को मर्सिया-निगारी का बादशाह कहा जाता है। उन्होंने मर्सिया-निगारी को उरूज बख़्शा। दुनिया भर में होने वाली मजलिसों में आज भी मीर अनीस के मरासी कसरत से पढ़े जाते हैं।
मीर अनीस जितने अज़ीम शायर थे उतने ही नाज़ुक-मिज़ाज और फ़क़ीर-सिफ़त इन्सान थे। वो रईसों और अमीरों की सोहबत में बैठना पसंद नहीं करते थे। इसका सुबूत उनके हैदराबाद के मुख़्तसर क़याम के दौरान भी नज़र आता है।

Mirza Ghalib Film 1954

जब मंटो ने मिर्ज़ा ग़ालिब पर फ़िल्म बनाई और संवाद बेदी ने लिखा

1954 की “मिर्ज़ा ग़ालिब” उन गिने-चुने दरीचों में से है, जो अवाम को माज़ी में झाँकने का मौक़ा बख़्शती है। फ़िल्म के ख़ूबसूरत मुकालमे राजिंदर सिंह बेदी की क़लम से निकले हैं, जो ख़ुद एक मुमताज़ अदीब रहे हैं।

Husn e Jaana Ki Tareef

इन शेरों की तो पेंटिंग्स भी नहीं बनाई जा सकती

महबूब की तारीफ़ करनी हो या मोहब्बत का इज़हार, सबकी पहली पसंद शायरी है, सबकी ज़िन्दगी में एक दौर ऎसा ज़रूर आता है जब ख़ूब शायरी पढ़ी जाती है और लिखने की कोशिशें भी होती हैं, ये दौर अक्सर मोहब्बत या आज की ज़बान में क्रश या पहले पहले प्यार का दौर होता है।

Rauf Raza - Rekhta Blog

रउफ़ रज़ा: जिन्हें भरी बहार में इस दुनिया से उठा लिया गया

रऊफ़ साहब ने उस वक़्त इस दुनिया को अलविदाअ’ कहा जब उनकी शाइरी अपने उरूज पर थी। रऊफ़ साहब का नाम जदीद शाइरी के उन मो’तबर नामों में शुमार होता है जिन्होंने अपने आस-पास की चीज़ों को शाइरी में ढालकर ज़िन्दगी को देखने का एक ऐसा नज़रीया पेश किया।

Ghazal, Hard and Sur

ग़ज़ल की मक़बूलियत का सफ़र

मौसीक़ी को पसंद करने वाले की तादाद तब ज़ियादा बढ़नी शुरू हुई, जब इसमें ग़ज़लों को दौर शुरू हुआ | ग़ज़ल की सबसे बड़ी ख़ासियत आहंग और अरूज़ ने गुलूकारों को वो आसानी बख्शी कि कोई भी उस्ताद गुलूकार ग़ज़ल गाए बग़ैर नहीं रह सका |

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