उर्दू शाइरी में हमारी लोक-कहानियाँ और तारीख़ किस तरह महफ़ूज़ हो गई?
मसनवी दर-अस्ल अरबी का लफ़्ज़ है जिसके मआनी दो-दो के हैं। हालाँकि मसनवी लफ़्ज़ अरबी का है, लेकिन मसनवी की सिन्फ़ फ़ारसी शोरा की ईजाद मानी जाती है और पहली मारूफ़ मसनवी के 10वीं सदी में फ़ारसी ज़बान में लिखे जाने के सुराग़ मिलते हैं। ईजाद के साथ ही ईरान में मसनवी की सिन्फ़ बेहद मक़बूल हुई और इस सिन्फ़ में बहुत अहम शाइरी भी हुई। मसलन शाहनामा और मौलाना रूमी की मसनवी। शाहनामा दुनिया की उन सबसे तवील नज़्मों में है जिन्हें किसी एक शख़्स ने लिखा है और इसमें तक़रीबन 50,000 शेर हैं।