Tag : Urdu Article

Lafz, Alfaz

आख़िर लफ़्ज़ कहाँ सुकून का साँस लेते हैं?

हाँ तो हम बात कर रहे थे ग़लती और हरकत और निगरानी जैसे अल्फ़ाज़ की। क्या आपने कभी सोचा कि आम तलफ़्फ़ुज़ में ऐसा होता ही क्यों है कि ग़लती को ग़ल्ती, हरकत को हर्कत बोला जाता है?? ये क्या सिर्फ़ तलफ़्फ़ुज़ के न पता होने का मुआमला है या इसमें कोई अरूज़ या’नी छंदशास्त्र से जुड़ी हुई बात भी है जो बराबर काम कर रही है??

Sher mein Ek Lafz Ka Kamaal

शेर में एक लफ़्ज़ का कमाल

आज के ज़माने मे ये हुनर यानी एक, दो लफ़्ज़ों से मैयारी शायरी करना बड़े मुस्तनद और तजरबे-कार शाइरों मे ही पाया जाता है। मै चन्द मिसालों की मदद से रेख़्ता के कारईन बिल-ख़ुसूस नये लिखने वालों तक इस हुनर की तरसील करना चाहता हूँ…

Lafzon ke matrook hone ki kahani

لفظوں کے متروک ہونے کی کہانی

اب دالان اور صحن کی جگہ لابی نے لے لی ہے جہاں بیٹھ کر نہ آپ آسمان دیکھ سکتے ہیں اور نہ موسم گرما کی راتوں میں تاروں کی چھاؤں میں چارپائی بچھاکر سو سکتے ہیں، نہ سردیوں میں دھوپ سینک سکتے ہیں اور نہ برسات میں بارش کا مزہ لے سکتے ہیں۔

Rajinder Manchanda Bani

बानी: वो शायर जिसके यहाँ लफ़्ज़ तस्वीर में बदल जाते हैं

बानी का 1932 में मुल्तान जिले में हुआ था और हिन्दुस्तान की आज़ादी के बाद 1947 में दिल्ली चले आए। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखी और अर्थशास्त्र में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। बानी की ग़ज़लों से गुज़रते हुए आप उनकी मन्ज़र पैदा करने के हुनर के बारे में जानेंगे और आपको यक़ीन हो जाएगा कि वह एक शानदार मुसव्विरी की सलाहियत रखने वाले शायर थे।

Mushtaq Ahmad Yusufi Humour

Yusufi: The Master of Humour & Satire

“Koi umr puchhta hai toh phone number dekar baton mein laga leta hu”

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