Tag : Urdu Shayari

Lal Qila 1960 movie blog

लाल क़िला फ़िल्म आज भी हमें अपने असर में रक्खे हुए है

ख़ूबसूरत मुकालिमों से आरास्ता 1960 में मंज़र-ए-आम पर आयी फ़िल्म “लाल क़िला” सिर्फ़ लाल क़िले और हिन्दोस्तान के आख़िरी ताजदार बहादुर शाह ज़फ़र की कहानी नहीं है, बल्कि उस शरारे की कहानी है जो ज़ुल्म और इस्तेहसाल की हवा पा कर 1857 में एक शोले की शक्ल इख़्तियार कर गया।

Bollywood and Urdu

जब महबूबा को मर्डरर के बजाए क़ातिल कहा जाए

उर्दू की तारीफ़ बयान करने के लिए मेरे पास सिर्फ़ एहसासात ही हैं क्यों कि ये काम लफ़्ज़ों को नहीं दिया जा सकता। मैं यक़ीन से कह सकता हूँ कि अगर उर्दू बॉलीवुड का हिस्सा न होती तो ऐसी फ़िल्में, ग़ज़लें, नग़्में, डायलॉग्स का हमारी ज़िंदगी पर कोई ख़ास असर न होता।

Naseer Turabi

उनके लिए जो नसीर तुराबी को नहीं जानते!

उर्दू शायरी के आशिक़, नसीर तुराबी के इस दुनिया से रुख़्स्त हो जाने का ग़म मना रहे हैं। दो हज़ार बीस के दिए ज़ख़्म अभी ताज़ा ही थे कि नया साल का पहला अशरा एक और दुख-भरी ख़बर पर ख़त्म हुआ। नसीर तुराबी का जाना अच्छी शायरी के सुनने, पढ़ने और गाने वालों के लिए एक बहुत दुख-भरा वाक़िया है।

Shamsur-Rahman-Faruqi

सहीह मानों में फ़ारूक़ी साहब एक इनसाइक्लोपीडिया की तरह थे

शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी वो शख़्स थे जिनके मज़ाक़ में भी इल्म निहाँ होता था। ये मुबालग़ा नहीं होगा अगर ये कहा जाए कि फ़ारूक़ी साहब को सिर्फ़ 10 घंटे सुन कर आप उर्दू अदब के ग्रेडुएट हो सकते हैं।

Ghalib Kaun Hai

जब मीर ने ग़ालिब के बारे में एक अजीब बात कही

ग़ालिब कौन है, अब हम उससे क्या बताएँ कि जो ग़ालिब ही से पूछ रहा हो कि ग़ालिब कौन है। बहुत ग़ौर करें तो इसी शे’र में ग़ालिब निराश हो कर ये कहते हुए भी नज़र आते हैं कि- ”वो हमसे पूछ रहे हैं कि ग़ालिब कौन है तो कोई हमीं को बतलाओ कि हम क्या बतलाएँ कि हम कौन हैं।

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