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Urdu Rasm-ul-Khat

उर्दू रस्म-उल-ख़त सीखना क्यों ज़रूरी है

किसी भी ज़बान को पूरी तरह से समझने के लिए, उसके एक-एक लफ़्ज़ के मआनी तक पहुँचने के लिए सबसे पहले ज़रूरी है, कि हमें उस ज़बान की रस्मुल-ख़त यानी लिपि (script) का इल्म होना चाहिए। जब तक हम कोई ज़बान अच्छी तरह से पढ़ और लिख नहीं सकते, हम उस ज़बान से पूरी तरह वाक़िफ़ भी नहीं हो सकते।

The Enchanting World of Urdu Words

In Urdu, there is a huge treasure of such words which are known as ‘DaKHiil’. In fact, there is another treasure which is even bigger than that of DaKHiil words. Interestingly, these new words have appeared in new garbs with variations in meaning, pronunciation, and spelling.

#QissaKahani: वो दिन जिसके बाद नेहरू ने उर्दू सीखने और ग़ालिब को पढ़ने का फ़ैसला किया

QissaKahani रेख़्ता ब्लॉग की नई सीरीज़ है, जिसमें हम आपके लिए हर हफ़्ते उर्दू शायरों, अदीबों और उर्दू से वाबस्ता अहम् शख़्सियात के जीवन से जुड़े दिलचस्प क़िस्से लेकर हाज़िर होते हैं। इस सीरीज़ की तीसरी पेशकश में पढ़िए नेहरू के उर्दू सीखने का क़िस्सा।

Urdu article

वो इकलौता लफ़्ज़ जिसका बटवारा अदालत में हुआ

तो क़िस्सा मुख़्तसर ये कि कुछ वक़्त ये दोनों यानी ‘ब-नाम’ और ‘वर्सेस’ इक अदालत में साथ रह लिए थे तो अदालत के हुक्म से एक के मानी दूसरे को दे दिये गये। बेचारा मूल-अर्थ जो की अस्ली हक़-दार था वो अदालत का मुंह तकता रह गया और उसकी जगह पर किसी और को बसा दिया गया।

Lafzon par nigrani rakkho

लफ़्ज़ों पर निगरानी रक्खो

हमारी आम ज़बान में ख़ासतौर से दो लफ़्ज़ ‘ग़लती’ और ‘हरकत’ बहुत मक़बूल और राइज हैं पर शाएरी के हवाले से देखें तो इनका इस्तेमाल हम ग़लत तरीक़े से कर सकते हैं क्यों कि हम इन दोनों ही अल्फ़ाज़ के अस्ल तलफ़्फ़ुज़ से वाक़िफ़ नहीं हैं।

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