Tag : Urdu

Dilip Kumar

دلیپ کمار کی زبان ایک عہد کی زبان تھی جو ان کے ساتھ ہی رخصت ہو گئی

فلموں میں مکالمے صاحب طرز انشا پرداز اور بڑے قلمکاروں کے ہوتے ہیں۔ لہجے اور ادائیگی کا ذمہ اداکاروں پر ہوتا ہے۔ اس لیے فلم سے قطع نظر ہماری نظر دلیپ کمار کی اس اردو کی جانب از خود چلی جاتی ہے جو ان کی اپنی اردو کہی جا سکتی ہے جو ان کے قلب میں نمو پاکر دہن شیریں سے پھوٹ پڑتی ہے۔

Javed Akhtar Blog

सफ़िया अख़्तर का जादू जो बाक़ी दुनिया के लिए जावेद अख़्तर है

जावेद अख़्तर साहब अदब की दुनिया का वो रौशन सितारा हैं जो कि बे-हद लम्बे समय से अपनी चमक बिखेर रहा है और वक़्त के साथ साथ जिस की रौशनी दोबाला हो रही है। दुनिया का शायद ही कोई शख़्स होगा जिस तक जावेद अख़्तर साहब के कलाम का जादू न पहुंचा हो।

Turki ba Turki

ترکی بہ ترکی

ترک سلاطین اور مغلوں کے دور میں دہلی اور آگرہ والے ہندی بولتے تھے لیکن لکھنے پڑھنے کا کام فارسی میں ہوتا تھا۔ سرکاری زبان فارسی سہی، لیکن شاہی محل میں اور دوسرے مغل امراء کی حویلیوں میں بچوں کی پرورش ترک مامائیں کرتی تھیں اور انھیں ترکی زبان سکھائی جاتی تھی۔ کم از کم جہانگیر کے عہد تک تو ضرور ایسا تھا۔

Urdu Articles

बात करना या बात करनी – दिल्ली और लखनऊ वालों का मसअला

अस्ल में इस बखेड़े की वजह है दिल्ली और लखनऊ स्कूल का एक क़दीम इख़्तिलाफ़ मसदरी प्रतीक को लेकर। मसदरी प्रतीक कहते हैं वो अलामत जो फे़अल की अस्ल सूरत यानी मसदर पर लगती है। ‘खिलाना’ ‘पिलाना’ ‘खाना’ ‘देखना’ ‘भागना’ वग़ैरा ये मसदरी सूरतें हैं और उनके आख़िर में जो “ना” है वो अलामत-ए-मसदरी है।

मीर तक़ी मीर: चलो टुक मीर को सुनने कि मोती से पिरोता है

मीर के बारे में अक्सर ये कहा जाता है कि उन्होंने सह्ल ज़बान या सरल भाषा में शाइरी की है। ऐसी ज़बान जिसे समझने में किसी को कोई परेशानी न हो और ये बात अक्सर ग़ालिब से उनका मवाज़ना/तुलना करते हुए कही जाती है। लेकिन क्या वाक़ई मीर की शाइरी आसान/आसानी से समझ में आ जाने वाली शाइरी है?

Twitter Feeds

Facebook Feeds