जब उर्दू ने मेरा माथा चूमा और मेरी आँख खुल गई
जब से मैंने उर्दू की उँगली पकड़ी है मैं एक दिन को भी सुस्ता नहीं सका हूँ। तेज़-गाम उर्दू की उँगली पकड़ के सफ़र करते रहना ख़ुशी के एहसास में इज़ाफ़ा करता है, लेकिन मेरी थकान का क्या? उर्दू मेरी थकान को अच्छी तरह समझती है। मैं उसे देखता हूँ और वो मेरे थके-माँदे बदन को अज़-जबीं ता- ब- पा देखती है। देख कर बड़ी चालाकी से मेरी हालत-ए-हाल को दर-गुज़र करके वापस चलने लगती है।