Shariq Kaifi

मामूली चीज़ों को ग़ैर-मामूली बना देने वाला शाइर

अगरचे ये शाइरी क्लासिकी उर्दू शाइरी के रिवायती साँचे से बहुत मेल खाती हुई नज़र नहीं आती, लेकिन ये हम-अस्र इंसानी तज्रबात और नफ़्सियात की गहरी तहों को खंगालने में रिवायत और जिद्दत के हर टूल के सहारे से अपना काम करती है। उनकी ग़ज़ल महज़ तख़लीक़ी सलाहियतों के इज़हार का अमल नहीं बल्कि किसी नादीदा-ओ-नायाब नुक्ते की तलाश, समाजी हक़ीक़तों के बयान और इंसानी वुजूद की पेचीदा तहों को बे-नक़ाब करने का ज़रीआ है।

International Women's Day

خواتین کی کہانی خود ان کی زبانی

در اصل عورت زندگی کو زیادہ قریب سے دیکھتی، محسوس کرتی ہے اور احساس و شعور میں زندگی کے تلخ و شیریں تجربات کے رنگ و بو کو دامن میں سمولیتی ہے، جب ان کو خود نوشت لکھنے کا موقع ملتا ہے، تو وہ ایک ایسی داستان بن کر سامنے آتی ہے، جس کے ورق ورق پر عورت کے حساس دل میں موجزن احساس و جذبات کی تصویریں چلتی پھرتی، سانس لیتی، کچھ اس طرح محسوس ہوتی ہیں، کہ ہمارا معاشرہ دم بخود ہوکر زندگی کی سچی حقیقتوں کا تماشہ دیکھتا ہے۔

Waqt Par Shayari

आइये वक़्त के साथ चलते हैं कुछ शेरों के सहारे

अव्वल तो ये कि वक़्त फ़ारसी का लफ़्ज़ है। लेकिन फ़ारसी में इसका तलफ़्फ़ुज़ कुछ इस तरह से है कि ये ‘बख़्त’ बन जाता है मगर लिखा वक़्त ही जाता है। फ़ारसी में वक़्त का मतलब समय का हिस्सा, ज़माना या मौसम होता है। हिंदी-उर्दू में इस्तेमाल होने वाला बख़्श भी इसी ‘वक़्त’ का रूप है। जिस तरह से हिंदी में ‘व’ – ‘ब’ में बदलता है, ठीक उसी तरह से फ़ारसी में भी। वक़्त जब रूप बदलकर बख़्त बना तो उसका मतलब भी समय से बदलकर क़िस्मत या भाग्य हो गया।

Sher Unke Geet Hamare

जब शायरों के शेर ज़रा सी तब्दीली के साथ फ़िल्मों में पेश किये गए

उर्दू शायरी में किसी दूसरे शायर के कलाम, शे’र या किसी मिस्रा से मुतअस्सिर हो कर, इसमें कुछ इज़ाफ़ा करके उसको अपना लेने की रिवायत हमेशा रही है जिसे तज़मीन कहते हैं। इसके अलावा तरही मुशायरों में किसी उस्ताद की ग़ज़ल से कोई मिस्रा दिया जाता था यानी ‘मिस्रा-ए-तरह’ और सब शायर इसी ज़मीन में इसी क़ाफ़िए और रदीफ़ के साथ ग़ज़लें कहते थे और इस ‘मिस्रा-ए-तरह’ पर अपने मिस्रे से ‘गिरह’ लगाते थे।

Talat Mahmood

तलत महमूद: जिसने ग़ज़ल गायकी को आसान बना दिया

तलत महमूद को शहंशाह-ए-ग़ज़ल भी कहा जाता है। उन्होंने ग़ज़ल गायकी को आसान बनाया। उन्होंने लफ़्ज़ों को इतनी नरमी दे दी कि मानो जैसे वो फूल हों। मीर, मोमिन, ग़ालिब, जिगर मुरादाबादी, अमीर मीनाई, ख़ुमार बाराबंकवी, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, जाँ निसार अख़्तर जैसे बड़े शाइरों की ग़ज़लों को अपनी आवाज़ से छू कर उनकी ख़ूबसूरती में इज़ाफ़ा किया।

Josh Malihabadi

Ishqnaama: The love-life of Josh Malihabadi

An emotionally honest Josh has remained an icon of love with a difference. In this extraordinary narrative Yaadon ki Baraat spread over 729 pages, he has narrated his love-life in 57 pages and unabashedly claimed that he loved “not once but eighteen times”.

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