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Let’s count them words!

Different poets might use slightly different distribution of words and word clouds are typically used to convey information about the distribution of words in some specific context. The more a word is used, the bigger it is on the cloud. So, let us make these word clouds for some prominent poets and see if they convey some insight into their commonalities and distinctiveness. 

Kaifi Azmi Blog

कैफ़ी आज़मी: एक सच्चे तरक़्क़ी-पसंद की ज़िंदगी और शायरी का क़िस्सा

कैफ़ी का जन्म आजमगढ़ के एक छोटे से गाँव मजवाँ में 1918 को हुआ था। उनका ख़ानदान पुराने ख़्यालात का जागीरदार ख़ानदान था। जहाँ न शिक्षा थी और न नए ख़्यालात की वो आज़ादी जिसे लेकर कैफ़ी जन्मे थे।

Faiz Ahmad Faiz

Faiz, Friend of My Soul

A relentless humanist, a hopeless romantic, and a heartbroken patriot, Faiz is everything that life can offer. He is no stranger to the festivities and griefs of the human. His oeuvre is the adjudicator of humanity. Faiz, to me, was the last humanist of the twentieth century who embraced everything human.

Shamim Hanfi

शमीम हनफ़ी के जाने से अब ये शहर शहर-ए-अफ़्सोस में बदल चुका है

शमीम हनफ़ी जैसी साफ़-ओ-शफ़्फ़ाफ़ और दिल को छूती हुई बात-चीत मैंने किसी अदीब के यहाँ नहीं पाई। वो अगर आपको किसी शहर के बारे में बताते तो कोई ऐसा नुक्ता ज़रूर होता जो उस शहर की ख़ासियत को बिलकुल नए सिरे से आप पर रौशन करता। मिसाल के तौर पर उन्होंने अपने वतन सुलतानपुर के हवाले से एक दफ़ा’ बताया था कि ‘सुलतानपुर वो एकलौती जगह है’ जहाँ विभाजन के वक़्त एक भी फ़साद नहीं हुआ।

Shiv Kumar Batalvi

शिव को बिरहा का सुल्तान क्यों कहते हैं?

किसी भी शाइर के हवाले से गुफ़्तगू करने का सबसे आसान तरीक़ा ये है कि आप उसकी उस ख़ुसूसियत के हवाले से उस शायर की शिनाख़्त करें जो उसकी शाइरी को दूसरों से अलग करती है। हालाँकि ये तरीक़ा-ए-कार उस रुसवा करने से कुछ कम तो नहीं, मगर ज़ियादा-तर शाइरों के मुताले के लिए ये तरीक़ा बेहद कारगर साबित होता है।

हमारी ज़िन्दगी में भी बहर होती है

बहर क्या है? बहर घड़ी की टिक-टिक है। बह’र लय है, हू-ब-हू जैसे हमारी साँसों की लय, हमारी नब्ज़ की लय, हमारे दिल की धड़कन की लय, समन्दर की लहरों की लय, हवा का वेग, नदी का प्रवाह, ऋतुओं का बदलना, सुब्ह होना- दोपहर होना- शाम होना- रात होना और फिर सुब्ह होना।

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