Urdu Stop Words Banner

Let’s count them words!

Different poets might use slightly different distribution of words and word clouds are typically used to convey information about the distribution of words in some specific context. The more a word is used, the bigger it is on the cloud. So, let us make these word clouds for some prominent poets and see if they convey some insight into their commonalities and distinctiveness. 

Urdu Shayari

हर अच्छे शायर ने मुसलसल रियाज़त की है

आपने कभी सोचा है कि हर एक गवैया कोई काम करे न करे लेकिन अपना रियाज़ ज़रूर करता है। अख़बार-नवीस छापने के लिए रोज़ ख़बरें ढूँढता है। अदाकार अपनी अदाकारी की रियाज़त करता है। या’नी हर एक कलाकार अपनी कला को बेहतर और बेहतर बनाने के लिए रोज़ रियाज़ करता है।

Yogesh Praveen

शान ए लखनऊ, जान ए लखनऊ

योगेश प्रवीन के इल्म से मुतास्सिर हो कर उन से सिर्फ़ अवाम ही नहीं बॉलीवुड के लोग भी सलाह लेने आया करते थे, बीच सत्तर के दशक में शशि कपूर और श्याम बेनेगल अपनी फ़िल्म जुनून के लिए योगेश जी से मशविरा करने आये थे। ये उस वक़्त की बात है जब शशि कपूर सुपर स्टार हुआ करते थे और श्याम बेनेगल बेहतरीन डायरेक्टर के रूप में जाने जाते थे।

Shahid Ali Khan

محبت کا جلی عنوان شاہد علی خان

شاہد صاحب کی ایک خوبی یہ ہے کہ وہ دُھن کے پکے ہیں جو ٹھان لیتے ہیں وہ کرگزرتے ہیں۔ انجام کی پرواہ نہیں کرتے، چنانچہ جیسے ہی مکتبہ جامعہ سے رشتہ ٹوٹا تو انہوں نے فوراً نئی کتاب کی داغ بیل ڈال دی۔ ابوالفضل انکلیو کے ٹھوکر نمبر 3 میں انہوں نے اپنا اشاعتی ادارہ قائم کیا۔ وہاں وہ اکثر اکیلے بیٹھے رہتے تھے۔ دیگر بیٹھنے والوں میں پروفیسر توقیر احمد خاں کے علاوہ خاکسار تھا۔ بعد میں تعداد بڑھتی گئی، کرسیاں کم پڑنے لگیں۔

Shakeel Badayuni

जब शकील बदायुनी सरकारी नौकरी छोड़ कर मुंबई में क़िस्मत आज़माने लगे

शकील का मर्तबा ब-तौर गीतकार जिस दर्जा बुलंद है, ब-तौर एक शाइर भी उनका मर्तबा कुछ कम नहीं है। पहले उनके शाइराना पहलू के हवाले से बात करते हैं। शकील की पैदाइश 3 अगस्त 1916 को बदायूँ में हुई थी। उनके वालिद जमील अहमद क़ादरी बम्बई की एक मस्जिद में इमामत करते थे, लिहाज़ा उनका ज़ियादा-तर वक़्त बदायूँ से बाहर गुज़रता था।

Urdu Article, Urdu Blog

इन शायरों ने या तो आत्महत्या की या जल्दी ही इस दुनिया से उठ गए

वाक़ई शाइर बना या बनाया नहीं जा सकता। शाइर या शाइरी को तराशना एक मुख़्तलिफ़ काम है। शाइर होना पैदाइशी हुनर है और ये किसी के हाथ में नहीं। शाइरी की मश्क़ आपके हाथ में है और रियाज़त के हाथ में है, कि वो आप पर असर कब करेगी।

Twitter Feeds

Facebook Feeds