Tag : Poets

Shiv Kumar Batalvi

शिव को बिरहा का सुल्तान क्यों कहते हैं?

किसी भी शाइर के हवाले से गुफ़्तगू करने का सबसे आसान तरीक़ा ये है कि आप उसकी उस ख़ुसूसियत के हवाले से उस शायर की शिनाख़्त करें जो उसकी शाइरी को दूसरों से अलग करती है। हालाँकि ये तरीक़ा-ए-कार उस रुसवा करने से कुछ कम तो नहीं, मगर ज़ियादा-तर शाइरों के मुताले के लिए ये तरीक़ा बेहद कारगर साबित होता है।

Irfan Siddiqi

नई शायरी करनी हो तो इनके बारे में जानना ज़रूरी होगा

इरफ़ान सिद्दीक़ी के इस अकेले शेर में उनकी ज़िन्दगी की पूरी कहानी छुपी हुई है। उर्दू ज़बान के बेहतरीन शाइरों में से एक होने के बावजूद, वो मक़बूलियत और पज़ीराई उनके लिए बहुत देर से आई, जिसके वो हक़दार थे। इरफ़ान सिद्दीक़ी आधुनिक उर्दू ग़ज़ल के एक ट्रेंडसेटर के रूप में भी जाने जाते हैं, जिन्होंने अपनी समझ और तर्कशक्ति को शाइरी में ढालने की हिम्मत की, और उर्दू शाइरी के कैनवस पर एक ख़ूबसूरत पेंटिंग बनाई।

Sher Unke Geet Hamare

जब शायरों के शेर ज़रा सी तब्दीली के साथ फ़िल्मों में पेश किये गए

उर्दू शायरी में किसी दूसरे शायर के कलाम, शे’र या किसी मिस्रा से मुतअस्सिर हो कर, इसमें कुछ इज़ाफ़ा करके उसको अपना लेने की रिवायत हमेशा रही है जिसे तज़मीन कहते हैं। इसके अलावा तरही मुशायरों में किसी उस्ताद की ग़ज़ल से कोई मिस्रा दिया जाता था यानी ‘मिस्रा-ए-तरह’ और सब शायर इसी ज़मीन में इसी क़ाफ़िए और रदीफ़ के साथ ग़ज़लें कहते थे और इस ‘मिस्रा-ए-तरह’ पर अपने मिस्रे से ‘गिरह’ लगाते थे।

Mushaira and poets

क्या रहा है मुशायरे में अब

शायरी और अदब के चाहने वाले कभी भी एक ही शायर या अदीब को लेकर नहीं बैठते, ये तो मुमकिन है कि कोई एक अदीब उन्हें ज़ियादा पसंद हो, मगर ऐसा नहीं होता कि वो किसी और को न पढ़ें, मीर के आशिक़ ग़ालिब के भी दीवाने हो सकते हैं, जौन को चाहने वाले फ़ैज़ की नज़्में भी गुनगुनाते हुए मिल जाते हैं।

Teen Urdu Shayar

तीन उर्दू शायर और उनकी पंजाबी ग़ज़लें

ग़ज़ल हिन्दोस्तान की दीगर ज़बानों में कही जा रही है, लेकिन पंजाबी ग़ज़ल उर्दू ग़ज़ल के क़रीब-तरीन है। ये क़ुरबत इस दर्जा है कि पंजाबी के मुमताज़ शायरों के फ़ेहरिस्त में जो लोग हैं, उन नामों से उर्दू के क़ारी भी ना-शनास नहीं। हबीब जालिब, ज़फ़र इक़बाल, मुनीर नियाज़ी जैसे मोतबर शायर इसकी चंद मिसालें हैं।

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