Asraar-e-Huroof: The Story of Alif
Alif echoes the sound ‘a’, as in the word ‘but’. In Devanagari, it’s written as “अ”. But to understand how monumental this little aspirant-letter is in the grand scheme of things
Alif echoes the sound ‘a’, as in the word ‘but’. In Devanagari, it’s written as “अ”. But to understand how monumental this little aspirant-letter is in the grand scheme of things
QissaKahani रेख़्ता ब्लॉग की नई सीरीज़ है, जिसमें हम आपके लिए हर हफ़्ते उर्दू शायरों, अदीबों और उर्दू से वाबस्ता अहम् शख़्सियात के जीवन से जुड़े दिलचस्प क़िस्से लेकर हाज़िर होते हैं। इस सीरीज़ की चौथी पेशकश में पढ़िए अकबर इलाहाबादी और मशहूर गायिका गौहर जान की मुलाक़ात का क़िस्सा।
उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ नाराज़ थे क्योंकि उनका कोई भी काम समय से नहीं शुरू हुआ। इफको उन्हें सात बजे से पहले पहुँचना था मगर वे पहुँचे रात नौ बजे। अंधेरे में कैमरे के फ्लैश चमक रहे थे। वे अपनी आँखों के आगे हाथ लगाते हुए चीखे, “बंद करो इसे…!
उर्दू पढ़ने लिखने वालों को या पढ़ना लिखना सिखाने वालों को अगर सबसे ज़ियादः कोई हर्फ़ परेशान कर सकता है तो वो हम्ज़ा है। अव्वल तो इस पर बहसें हैं कि इसे हर्फ़ माना भी जाए या नहीं कि इसकी दूसरे हुरूफ़ की तरह अपनी कोई आवाज़ नहीं है।
किसी भी ज़बान को पूरी तरह से समझने के लिए, उसके एक-एक लफ़्ज़ के मआनी तक पहुँचने के लिए सबसे पहले ज़रूरी है, कि हमें उस ज़बान की रस्मुल-ख़त यानी लिपि (script) का इल्म होना चाहिए। जब तक हम कोई ज़बान अच्छी तरह से पढ़ और लिख नहीं सकते, हम उस ज़बान से पूरी तरह वाक़िफ़ भी नहीं हो सकते।
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