Tag : Urdu Poetry

Holi Shayari

आशिक़ों के गालों पर विसाल का रंग लगाने वाली होली

होली के दिन चारों ओर फ़ज़ा में रंग ही रंग दिखते हैं और सडकों, गलियों, आँगनों में लाल, हरे, नीले, पीले रंगों से पुते चेहरे| इन चेहरों पर एक उत्साह दिखता है जो इंसानों के बीच का अजनबियत मिटा देता है| सड़कों से गुजरते राहगीरों पर जब बच्चे रंग भरे ग़ुब्बारे फेंकते हैं तो उन राहगीरों के चेहरे पे एक मुस्कान उभर आती है|

अज़ीब दास्तां है ये

कमाल अमरोही के परिवार का अदब से गहरा ताल्लुक था। सोशल मीडिया से रू-ब-रू पीढ़ी के बीच मकबूल हो चुके जौन इलिया का जन्म भी इसी घर में हुआ था, जो कमाल के भाई थे। उनके एक और भाई रईस अमरोहवी जाने माने विचारक, स्तंभकार और शायर थे। एक दूसरे भाई सैयद मोहम्मद तक़ी पाकिस्तान के जाने-माने पत्रकार और फलसफ़े के जानकार बने।

Kamal Amrohi

वो फ़साना बन गई है…

कमाल अमरोही का ज़िक्र एक रूमानी और परफेक्शनिस्ट निर्देशक के रूप में होता है। बतौर लेखक उन्होंने ‘पुकार’, ‘मुग़ल-ए-आज़म’ और ‘पाकीज़ा’ जैसी फिल्मों के लिए उर्दू में यादगार संवाद लिखे। ये संवाद हिन्दी सिनेमा में उस दौर के चलन से बिल्कुल अलग थे, जिसमें पारसी थिएटर का गहरा प्रभाव था। अमरोही ने उस प्रभाव से मुक्त होकर सिनेमा के संवादों को शायरी की ऊंचाइयां दीं।

Women's Day

महिला-दिवस के अवसर पर रेख़्ता की ख़ास पेशकश

महिलाऍं आज बहुत से क्षेत्र में तरक़्क़ी कर रही हैं | ख़ासकर आज़ादी के बाद से चाहे वह महिला सशक्तिकरण की बात हो तो आज़ादी के बाद सरकारों ,महिला संगठनों और महिला आयोगों के प्रयासों से महिलाओं के लिए विकास के कई द्वार खुले उनमें शिक्षा का प्रचार जिससे उनके आत्मविश्वास में वृद्धि हुई | आज वे सियासत, समाजसुधार, ता’लीम, सहाफ़त, अदब, उद्योग, विज्ञान, ब्यूरोक्रेसी, सेना, डॉक्टरी आदि विभिन्न क्षेत्रों में पुरुषों के साथ बराबरी पर खड़ी हैं |

Firaq Gorakhpuri

जब जोश से अनबन हुई और फ़िराक़ गोरखपुरी ने पूरी किताब लिख दी

रूप की रुबाइयाँ एक और ज़ाविए से अहम हैं क्योंकि वो फ़िराक़ साहब की ज़िंदगी के अहम वाक़िए से जुड़ी हुई हैं। फ़िराक़ साहब और जोश साहब में गहरी दोस्ती थी लेकिन एक बार उनमें कुछ ऐसी अनबन हुई कि एक अर्से तक बात नहीं हुई। जब फ़िराक़ साहब दिल्ली से वापस इलाहबाद आए तो उन्होंने एक रुबाई कही थी।

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