Imroz the poet

इमरोज़-एक जश्न अपने रंग, अपनी रौशनी का

इमरोज़ की मिट्टी का गुदाज़, लोच और लचक देखकर हैरत होती है कि कोई इतना सहज भी हो सकता है। लोग जो भी बातें करते रहें, वो दर-अस्ल इमरोज़ को अमृता के चश्मे के थ्रू देख रहे होते हैं जबकि इमरोज़ किसी भी परछाईं से अलग अपने वजूद, अपने मर्कज़ से मुकम्मल तौर पर जुड़े रहे हैं।

Independence Day

स्वतंत्रता आंदोलन के तनाज़ुर में लिखी गईं बेहतरीन उर्दू कहानियां

स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर हम आपके लिए उर्दू में लिखी गईं चंद ऐसी कहानियां लेकर आए हैं जो अलग-अलग समय में आज़ादी की तहरीक के तनाज़ुर में लिखी गई हैं। इन कहानियों में आज़ादी से पहले के हिन्दुस्तानी समाज की झलकियां भी हैं और आज़ाद देश के ख़्वाबों की तस्वीरें भी। साथ ही उन दुखों और उम्मीदों के क़िस्से भी जो देश की आज़ादी और विभाजन से वाबस्ता रहे।

जो उन्हें नहीं जानते उन्हें ज़रूर जानना चाहिए

ये बात सुनकर दुख होता है कि जिन लोगों को शायरी में दिलचस्पी नहीं है या फिर कम है वो शकील बदायुनी साहब को सिर्फ़ फ़िल्मी गानों के हवाले से ही जानते हैं। जब कि ऐसा नहीं होना चाहिए शकील साहब एक बहुत बेहतरीन शायर भी थे। उनका तरन्नुम और अंदाज़ दूसरे शायरों से मुनफ़रिद था। बिला-शुबा ये बात कही जा सकती है कि अगर शकील साहब फ़िल्मी दुनिया के लिए गाने न लिखते तो भी उनकी शायरी में इतना दम था कि जो उन्हें मक़बूल बना सके और उन्होंने एक उम्र तक अपनी शायरी से मक़बूलियत हासिल भी की।

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राहत इंदौरी: ये सानेहा तो किसी दिन गुज़रने वाला था

राहत की चुभती हुई शायरी, शेर सुनाने के ड्रामाई अंदाज़ और मौके़-मौके़ पर उनकी तरफ़ से फेंके जाने वाले लतीफ़ों और जुमलेबाज़ी ने उन्हें एक दूसरे ही जहान का शायर बना दिया था। वो माईक पर आते ही मुशायरे की ख़ामोशी को दाद-ओ-तहसीन की गर्मी से ऐसा पिघलाते थे कि देर तक मुशायरा अपने मामूल पर नहीं रह पाता था।

Poems or Paintings? Select Designs Carved out of Words

Some of the finest exemplars of intriguing imageries of rain and aftermath are contained in our beloved Urdu poetry. Poets, classical and contemporary alike, have colored their couplets with words, masterfully. From Mirza Ghalib, painting the most abstract impressions, to Ahmad Mushtaq, brushing the simplest of everyday stills, this little collection offers some of the most inviting images drawn, with alphabets!

Sangeet-Ki-Kala

संगीत की कला: गुण और दोष

संगीत मूल रूप से ध्वनि की कला है। संगीत में ध्वनि की अवधारणा बहुत पुरानी है। आवाज़ यंत्रों की ईजाद से बहुत पहले से मौजूद थी। और आवाज़ ही को नज़ीर बना कर संगीत के साज़ ईजाद हुए हैं। हिन्दोस्तान को राग-रागनियों का मुल्क कहा जाता है। संगीत हिन्दुस्तानी सभ्यता का एक मूल तत्व है। हिन्दुस्तानी संगीत को अपनी कुछ विशेषताओं के आधार पर हिन्दुस्तानी पहचान के तौर पर माना जाता है।

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