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Let’s count them words!

Different poets might use slightly different distribution of words and word clouds are typically used to convey information about the distribution of words in some specific context. The more a word is used, the bigger it is on the cloud. So, let us make these word clouds for some prominent poets and see if they convey some insight into their commonalities and distinctiveness. 

urdu lafz

ये शब्द हमें कहाँ कहाँ ले जाते हैं

उर्दू में हालाँकि लफ़्ज़ के सौत-ओ-आहंग से ये मुआमला उतना वाज़ेह नहीं होता, हाँ रिवाज की वजह से हमारे ज़हन पर इस लफ़्ज़ के मनफ़ी या मुसबत असरात पहले से नक़्श होते हैं लेकिन फिर भी लफ़्ज़ का माद्दा क्या है उसका मसदर क्या है उसका मूल क्या है, यह बातें बहुत हद तक अर्थ को ज़ाहिर कर देती हैं।

Ghalib and April Fool, April Fool Shayari

“جب غالب کی غزل کے نام پر لوگوں کو اپریل فول بنایا گیا”

ریاست بھوپال اپنی تشکیل کے اولین دور سے ہی اہل علم و ادب کی قدردان رہی ہے خصوصاً نواب صدیق حسن خاں کا دوربھوپال کی علمی وجاہت کا انتہائی سنہرا دور تھا۔ قال اللہ اور قال رسول کے اسباق کے درمیان میر و مصحفی اور غالب و مومن کی شعری عشوہ طرازیوں کے رنگ بھی فضا میں بکھرے ہوئے تھے خصوصاً غالب کے قدردانوں کا ایک وسیع حلقہ یہاں موجود تھا۔یہی وجہ ہے یہاں غالب کی ابتدائی دور کا کلام اس وقت آگیا تھا جب وہ جوانی کی سرحدوں سے گزر رہے تھے ۔

Meena Kumari Blog

मीना कुमारी का जौन एलिया से भी एक रिश्ता था

1 अगस्त 1933 को बॉम्बे में पैदा हुई महजबीन बानो ने महजबीन बानो से मीना कुमारी होने तक ‘साहब बीवी और ग़ुलाम’, ‘मेरे अपने’, ‘पाकीज़ा’, ‘दिल एक मन्दिर’, ‘फ़ुट पाथ’, ‘परिणीता’, ‘बैजू बावरा’, ‘काजल’ और ‘दिल अपना और प्रीत पराई’ जैसी फ़िल्मों में बे- मिसाल अदाकारी करते हुए तमाम दुनिया में धड़कने वाले दिलों की जुम्बिश हो जाने का सवाब हासिल किया।

क्या हुआ जब एक बार होली और मुहर्रम एक ही महीने में पड़ गए

लखनऊ की होली के क्या कहने साहब! होली क्या है हिन्दुस्तान की कौमी यकजहती की आबरू है। जो ये मानते हैं कि होली सिर्फ़ हिंदुओं का त्योहार है वो होली के दिन पुराने लखनऊ के किसी भी मोहल्ले में जाकर देख लें,पहचानना मुश्किल हो जाएगा रंग में डूबा कौन सा चेहरा हिंदू है कौन सा मुसलमान।

Sir Syed and Ghalib

सर सय्यद और ग़ालिब के बीच की नाराज़गी, जो किताब से शुरू हुई और बोतल पर ख़त्म हुई

सर सय्यद और ग़ालिब के रिश्ते उस किताब से ख़राब हुए थे जिसे सर सय्यद ने सम्पादित किया था और ग़ालिब ने उस किताब के लिए सर सय्यद की ख़ूब आलोचना की थी। लेकिन इसके बाद एक समय वो आया जब दोनों के बीच की दूरियाँ शराब की एक बोतल पर समाप्त हुईं।

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