ये शब्द हमें कहाँ कहाँ ले जाते हैं
उर्दू में हालाँकि लफ़्ज़ के सौत-ओ-आहंग से ये मुआमला उतना वाज़ेह नहीं होता, हाँ रिवाज की वजह से हमारे ज़हन पर इस लफ़्ज़ के मनफ़ी या मुसबत असरात पहले से नक़्श होते हैं लेकिन फिर भी लफ़्ज़ का माद्दा क्या है उसका मसदर क्या है उसका मूल क्या है, यह बातें बहुत हद तक अर्थ को ज़ाहिर कर देती हैं।