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Let’s count them words!

Different poets might use slightly different distribution of words and word clouds are typically used to convey information about the distribution of words in some specific context. The more a word is used, the bigger it is on the cloud. So, let us make these word clouds for some prominent poets and see if they convey some insight into their commonalities and distinctiveness. 

Naye daur ke sangeet ka sufiyana mizaj

नए दौर के संगीत का सूफ़ीयाना मिज़ाज

सन् 2009 में आई फ़िल्म ‘वेकअप सिड’ के गीतों की लोकप्रियता असंदिग्ध है। ख़ासतौर पर ‘गूंजा सा है कोई इकतारा’ की। जिंदगी के छोटे-छोटे पलों, ख़यालों में खोई कोंकणा सेन शर्मा, हवाओं और समुद्र की लहरों के बीच इसका सुंदर फ़िल्मांकन लोगों को कितना पसंद आया इसे यूट्यूब पर इसके व्यूज़ और कमेंट में देखा जा सकता है। कविता सेठ की ख़ूबसूरत आवाज़ सीधे दिल में उतर जाती है।

Urdu Shayari Mein Shahron Ki Kahani

उर्दू शायरी में शहरों की कहानी

वैसे तो हर शख़्स को अपनी जा-ए-पैदाइश या वतन से मुहब्ब्बत होती ही है और वक़्तन फ़-वक़तन वो उसकी ज़ुबान से ज़ाहिर हो ही जाती है, लेकिन जब मुहब्बत करने वाला शख़्स शेरो अदब से ताल्लुक़ रखता हो तब क्या ही कहने। अलग़रज़ जहाँ जहाँ उर्दू पनपी और परवान चढ़ी उन अक्सर जगहों का नाम… continue reading

Meer O Ghalib Ke Qasid Kitne Masoom Kitne Chalaak

मीर-ओ-ग़ालिब के क़ासिद: कितने मासूम कितने चालाक

शायरों के ख़यालात हर मुआमले में एक अनोखापन लिए हुए होते हैं, या यूँ कहिए कि उन्हें बयाँ करने का भी उनका एक अलग अंदाज़ होता है, ज़ाहिर है शायरों के तअल्लुक़ात भी जुदा होते हैं या कम अज़ कम अलाहिदा नज़रिए से देखे जाने का या बयान किये जाने का शरफ़ पाते हैं। अब… continue reading

उर्दू तलफ़्फ़ुज़, urdu words

उर्दू तलफ़्फ़ुज़ की सुंदरता

तलफ़्फ़ुज़ किसी भी ज़ुबान का रस है जो कान में तो टपकता ही है, इमला की शक्ल में आंख से देखा भी जाता है। देखिये – ‘नाजुकी’ उसके लब की क्या कहिए’ ख़ुदाए-सुख़न ‘मीर’ का यह ला-ज़वाल मिसरा एक बिंदी की ग़ैर-मौजूदगी के सबब आंख में तीर की तरह चुभा और उसे लहू-लहू कर गया।… continue reading

फ़िक्र नामा, fikr nama, फ़िक्र तोनस्वी, fikr taunsvi

लुग़ात-ए-फ़िक्री: वो अनूठा ‘शब्दकोश’ जो लफ़्ज़ों का कुछ अलग ही अर्थ बताता है

लुग़ात-ए-फ़िक्री, यानी फ़िक्र तोनस्वी का लिखा गया चंद पन्नों का ‘शब्दकोश’ अपने तौर की बहुत दिलचस्प और मज़ेदार तहरीर है। इसमें फ़िक्र ने हमारे दैनिक जीवन में प्रयोग किए जाने वाले शब्दों के अर्थ समाज की कड़वी हक़ीक़तों से बहुत क़रीब जा कर लिखे हैं। यहाँ लीडर का मतलब सिर्फ़ लीडर या राजनेता नहीं बल्कि वह है जो उसके व्यक्तित्व और उसके कारनामों से तय पाता है।

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