Tag : Urdu Poetry

Aatish and Nasikh

Aatish and Nasikh: Poets-cum-Pen Fighters

Inside an old house in Saraa-e-Baale Khan, sat a thin, tall man of an unassumed, unconventional temperament on his cheap jute mat under a broken-down roof, sheltered by hay and thatch. Dressed in a simple lungi, he sat in patience and contentment, spending his life like some aloof and carefree dervish. As his tilted cap rakishly fell over one of his eyebrows, he kept staring at an outdated wall ruminating about love, life, and poetry.

हम अपनी कल्पना के सहारे वो सब देखते हैं जो खुली आँखों से नहीं देख सकते

यक़ीन और गुमान दोनों में एक बात मुश्तरक है कि दोनों हमारे ज़ेहन में एक तस्वीर बनाते हैं, और फ़र्क़ ये है कि यक़ीन एक ही तस्वीर बनाता है मगर गुमान की कोई हद नहीं। गुमान की तस्वीरों में यक़ीन की तस्वीर भी हो सकती है मगर यक़ीन की तस्वीर बनती है तो गुमनाम की सारी तस्वीरें मिट जाती हैं।

shayari karna

दर अस्ल आमद का शेर ही सबसे ज़ियादा वक़्त लेता है

शाइरी करना और शाइरी होना, होने-करने, करने-होने की क्रियाओं में इस तरह गुँथा हुआ है जैसे तरह-तरह के धागे एक-दूसरे से उलझ जाएँ। शाइरी करने वाले के लिए शुरुआत ”शाइरी होने” से होती है और उसकी शाइरी होने के बा’द शाइरी की समझ रखने वाले कहते हैं, तुम अभी शाइरी कर नहीं पा रहे हो।

Meer-Aur-Mohsin-Naqvi

जन्नत में शायरों की एक महफ़िल

मैंने सुना है मेरे बाद कोई लफ़्ज़ों का ऐसा साहिर पैदा हुआ है , जिसे इश्क़ ने निकम्मा कर रखा था और ज़माने ने पागल क़रार दे रखा था, कोई ग़ालिब गुज़रा था , क्या था वो शख़्स? उस के बारे में मैं पहले ही कह दिया था कि उस्ताद मिला तो ठीक वर्ना मोहमल बकेगा।

Shahryar Blog

ख़्वाब , सूरज , जुनून , रेत, रात जैसे शब्दों को शहरयार ने अलग अंदाज़ में बरता है

शहरयार ने रात को कई रंगों में रंगने की कामयाब कोशिश की है। उन्होंने रात को अक्सर ज़ुल्म से ताबीर किया है। रात का रंग सियाह होता है, जो नेगेटिविटी ज़ाहिर करता है। सूरज, रोशनी और ख़ुशहाली की अलामत है। शहरयार के यहां रात अक्सर ज़ुल्म की इंतिहा दिखाती है।

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