शमीम हनफ़ी के जाने से अब ये शहर शहर-ए-अफ़्सोस में बदल चुका है
शमीम हनफ़ी जैसी साफ़-ओ-शफ़्फ़ाफ़ और दिल को छूती हुई बात-चीत मैंने किसी अदीब के यहाँ नहीं पाई। वो अगर आपको किसी शहर के बारे में बताते तो कोई ऐसा नुक्ता ज़रूर होता जो उस शहर की ख़ासियत को बिलकुल नए सिरे से आप पर रौशन करता। मिसाल के तौर पर उन्होंने अपने वतन सुलतानपुर के हवाले से एक दफ़ा’ बताया था कि ‘सुलतानपुर वो एकलौती जगह है’ जहाँ विभाजन के वक़्त एक भी फ़साद नहीं हुआ।