Shariq Kaifi

मामूली चीज़ों को ग़ैर-मामूली बना देने वाला शाइर

अगरचे ये शाइरी क्लासिकी उर्दू शाइरी के रिवायती साँचे से बहुत मेल खाती हुई नज़र नहीं आती, लेकिन ये हम-अस्र इंसानी तज्रबात और नफ़्सियात की गहरी तहों को खंगालने में रिवायत और जिद्दत के हर टूल के सहारे से अपना काम करती है। उनकी ग़ज़ल महज़ तख़लीक़ी सलाहियतों के इज़हार का अमल नहीं बल्कि किसी नादीदा-ओ-नायाब नुक्ते की तलाश, समाजी हक़ीक़तों के बयान और इंसानी वुजूद की पेचीदा तहों को बे-नक़ाब करने का ज़रीआ है।

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इन शायरों ने या तो आत्महत्या की या जल्दी ही इस दुनिया से उठ गए

वाक़ई शाइर बना या बनाया नहीं जा सकता। शाइर या शाइरी को तराशना एक मुख़्तलिफ़ काम है। शाइर होना पैदाइशी हुनर है और ये किसी के हाथ में नहीं। शाइरी की मश्क़ आपके हाथ में है और रियाज़त के हाथ में है, कि वो आप पर असर कब करेगी।

Irfan Siddiqi

नई शायरी करनी हो तो इनके बारे में जानना ज़रूरी होगा

इरफ़ान सिद्दीक़ी के इस अकेले शेर में उनकी ज़िन्दगी की पूरी कहानी छुपी हुई है। उर्दू ज़बान के बेहतरीन शाइरों में से एक होने के बावजूद, वो मक़बूलियत और पज़ीराई उनके लिए बहुत देर से आई, जिसके वो हक़दार थे। इरफ़ान सिद्दीक़ी आधुनिक उर्दू ग़ज़ल के एक ट्रेंडसेटर के रूप में भी जाने जाते हैं, जिन्होंने अपनी समझ और तर्कशक्ति को शाइरी में ढालने की हिम्मत की, और उर्दू शाइरी के कैनवस पर एक ख़ूबसूरत पेंटिंग बनाई।

आइये देखते हैं मुख़्तलिफ़ सभ्यताओं में बिल्ली का क्या किरदार था

आज इंटरनेट पर देखे जाने वाले सबसे ज़ियादा वीडियो और तस्वीरें बिल्लियों की हैं लेकिन बिल्लियाँ इंटरनेट से मशहूर नहीं हुई हैं, बिल्लियाँ हर सदी में किसी न किसी वज्ह से ख़ास रहीं हैं।

Hai Munir teri nigaah mein koyi baat gehrey malaal ki

Hai Munir Teri Nigaah Mein Koi Baat Gehre Malaal Ki

Munir Niyazi: A poet of soft notes, audible whispers

Niyazi may be read as a poet of memories and reveries, fictions and fancies who drew upon them as his basic material. He was a poet of soft notes, audible whispers, and intimate expostulations. His disputes and dissents with life and time are firm, his diction is polite, and his tones of voice echo in hearts rather than heads.

Urdu Zabaan

हिन्दुस्तानी अदालत के ज़रिये उर्दू के ये शब्द हटा दिए गए

ज़बान और ज़िन्दगी के लिहाज़ से आसान वो है जो हमारे हाथ में है या हम जो कर सकते हैं और मुश्किल वो है जो हम नहीं कर सकते। कहने का मतलब ये है कि हमारे लिए आसान ज़बान वो है जो हम समझ पाते हैं और मुश्किल वो जो समझ नहीं पाते।

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