Imroz the poet

इमरोज़-एक जश्न अपने रंग, अपनी रौशनी का

इमरोज़ की मिट्टी का गुदाज़, लोच और लचक देखकर हैरत होती है कि कोई इतना सहज भी हो सकता है। लोग जो भी बातें करते रहें, वो दर-अस्ल इमरोज़ को अमृता के चश्मे के थ्रू देख रहे होते हैं जबकि इमरोज़ किसी भी परछाईं से अलग अपने वजूद, अपने मर्कज़ से मुकम्मल तौर पर जुड़े रहे हैं।

Urdu Poetry Blog

How to Read Sounds in Poetry?

Think, what first comes to your mind as you read a couplet? Its idea, image, eloquence, assonance, or something else? Barely are we drawn towards the sounds that envelope the syllables that we’re uttering.

Zauq

कौन जाए ‘ज़ौक़’ पर दिल्ली की गलियाँ छोड़ कर

दिल्ली की गलियों को न छोड़कर जाने वाले इस अज़ीम शायर की दायमी आरामगाह का पता अब चिन्योट बस्ती, मुल्तानी ढाण्डा, पहाड़गंज, नई दिल्ली है जो कि बंटवारे के बाद ग़ैर-तक़सीम पंजाब के चिन्योट और मुल्तान ज़िलों से आकर बसे हिन्दुस्तानियों से आबाद है।

अकबर इलाहाबादी : हिन्दुस्तानी तहज़ीब के समर्थक

अकबर इलाहबादी को अब इस से फ़र्क़ नहीं पड़ता कि वो इलाहबादी हैं या प्रयागराजी। बात उनकी शायरी की होनी चाहिए और शायरी भी कैसी जो सरासर हिंदुस्तानी है। ये बहस बहुत पुरानी है की साहित्य का मक़सद समाज की भलाई है या साहित्यकार अपने दिल की बात करता है, चाहे उसका कोई अज़ीम मक़सद न भी हो।

Meeraji

कहते हैं कि उन्हों ने अपनी प्रेमिका के नाम पर ही अपना नाम मीरा जी रखा

मीरा जी का असली नाम मोहम्मद सनाउल्लाह ‘सानी’ डार था। लाहौर में विलादत हुई , इनके वालिद का नाम मुंशी महताबउद्दीन था जो रेलवे में मुलाज़मत करते थे और इनकी वालिदा का नाम ज़ैनब बेगम था। इनके वालिद को मुलाज़मत के दौरान कई मुख़्तलिफ़ शह्रों में क़याम करना पड़ता कभी गुजरात के काठियावाड़ ,बलूचिस्तान वग़ैरह वग़ैरह। मीरा जी वालिद के साथ ख़ूब घूमे इसका उनके ज़ेहन पर बहुत गहरा असर पड़ा और छोटी उम्र से ही वो घुमक्कड़ क़िस्म के हो गए थे ।

Allama Iqbal

اقبال : ہندوستانی شاعر

اقبال ہندوستانی عظمتوں کے سچا نغمہ طراز تھے۔ اقبال کا خمیر ہندوستان کی مٹی سے اٹھا تھا۔ انھوں نے اپنی شہرہء آفاق نظم “شعاعِ امید” اس وقت لکھی جب وہ اپنے تمام افکار ونظریات تقریباً مکمل طور پر پیش کرچکے تھے۔

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