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Let’s count them words!

Different poets might use slightly different distribution of words and word clouds are typically used to convey information about the distribution of words in some specific context. The more a word is used, the bigger it is on the cloud. So, let us make these word clouds for some prominent poets and see if they convey some insight into their commonalities and distinctiveness. 

Bashir Badr

मैं कौन हूँ? मेरी तारीख़ हिंदुस्तान की तारीख़ के आस पास है: बशीर बद्र

वो शायर जिसने दुनिया में ख़ुश्बू, मोहब्बत और याद किये जाने वाले बेशुमार अशआर बांटे, अपने अहद का बहुत बुलंद शायर, मुशायरों की जान बल्कि मुशायरों की शम’अ बशीर ‘बद्र’ जो अपने नाम के साथ पूरा इंसाफ़ करता है कि वो चाँद भी है और ख़ुश-ख़बरी पहुंचाने वाला भी।

Shahryar Blog

ख़्वाब , सूरज , जुनून , रेत, रात जैसे शब्दों को शहरयार ने अलग अंदाज़ में बरता है

शहरयार ने रात को कई रंगों में रंगने की कामयाब कोशिश की है। उन्होंने रात को अक्सर ज़ुल्म से ताबीर किया है। रात का रंग सियाह होता है, जो नेगेटिविटी ज़ाहिर करता है। सूरज, रोशनी और ख़ुशहाली की अलामत है। शहरयार के यहां रात अक्सर ज़ुल्म की इंतिहा दिखाती है।

Maihar-2

बंदूक़ों की नाल से निकलता संगीत

मैहर बैंडदुनिया में इकलौता… भारतीय शास्त्रीय संगीत का आर्केस्ट्रा। बाबा की अनूठी रचना। इस बार पेश किया राग कोसी कांगड़ा। नरेंद्र का फ्लैश चमका। हर वाद्य से उठती एक अलग धुन- सागर की लहरों की तरह कभी अकेली उठान लिए तो कभी आपस में घुलती-मिलती, कभी तेज प्रवाह के साथ चट्टानों से टकराती तो कभी पल-भर को शांत… ।

Harf aur Alfaaz

ज़बान सीखने के छ मरहले होते हैं

ज़बान की बुनियाद उसकी एल्फ़ाबेट होती है। या’नी सिलसिला-वार पहले हरूफ़ फिर अल्फ़ाज़ फिर ज़बान। लफ़्ज़ को समझने के लिए हुरूफ़ की समझ ज़रूरी है। और ज़बान को समझने के लिए अल्फ़ाज़ और उनके मआनी की समझ।

Asraar-e-Huruuf: The Story of Be

Asraar-e-Huroof- ‘Be’ Kise Kahte Hain?

‘Be’. Written as (ب) in Urdu Rasm-ul-Khatt, and in (ब) Devanagari, it is the second letter of the Urdu alphabets (Huruf-e-Tahajji), and the twenty-third consonant of the Nagari alphabets (वर्णमाला).

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